प्रिय बंधुवर, मानव अधिकारों का क्षेत्र जितना व्यापक है उतना ही पुराना इतिहास भी है जो मानव की उत्पत्ति से ही प्रारंभ हुआ है | विश्व में समाज की संरचना के साथ ही समाज समुदाय, समूह तथा राज्य के संचालन के नियम होते थे तथा उनका मुखिया अपने अधीनस्थ प्राणियों के संरक्षण का उत्तरदायी होता रहा है | वह स्वयं को भी इन नियमों के अंतर्गत मानता था | हर व्यक्ति हर जाती हर वर्ग के लोगों के सम्मान जनक जीवन जीने का अधिकार होना चाहिए | भूख, गरीबी, अशिक्षा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को निराकरण तथा दमन एवं शोषण से मुक्ति ही मानव अधिकारों का सबसे बड़ा संरक्षण है | प्राचीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति विश्वा मानव कल्याण से ओत प्रोत रही है | प्राचीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति विश्वा मानव कल्याण से ओत प्रोत रही है | विश्व मानव शताब्दी विचार धाराओं, वसुधैव कुटुम्बकम, सर्वेभवन्तु सुखिनः जैसी विश्व कल्याणकारी विचार धाराओं का उदय सबसे पहले भारत में ही हुआ था फ़ो अंतर्राष्ट्रीय शांति का केंद्र बना | इन्ही मूल्यों के संरक्षण एवं सर्वमान हेतु २४ अक्टूबर १९४५ को संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया | संयुक्त राष्ट संघ द्वारा १० दिसम्बर १९४८ को सार्वभौमिक घोषणा पत्र तैयार हुआ तभी से १० दिसम्बर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है यह अंतर्राष्ट्रीय मानकों की पहली मिसाल है इसी के बाद मानवाधिकार अंतर्राष्ट्रीय कानों बन गया | सम्पूर्ण विश्व में मानवाधिकार को निम्नवत करने के लिए तथा इसके विकास के लिए संयुक्त राष्ट संघ द्वारा महत्वपूर्ण कार्य किया गया |२४ अक्टूबर १९४५ को संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया | संयुक्त राष्ट संघ द्वारा १० दिसम्बर १९४८ को सार्वभौमिक घोषणा पत्र तैयार हुआ तभी से १० दिसम्बर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है यह अंतर्राष्ट्रीय मानकों की पहली मिसाल है इसी के बाद मानवाधिकार अंतर्राष्ट्रीय कानों बन गया | सम्पूर्ण विश्व में मानवाधिकार को निम्नवत करने के लिए तथा इसके विकास के लिए संयुक्त राष्ट संघ द्वारा महत्वपूर्ण कार्य किया गया इस घोषणा पत्र में ३० अनुच्छेद हैं | इन अनुच्छेद में सम्पूर्ण मानवाधिकार का वर्णन किया गया है | इन्हें मानवता का मैग्नाकारी कहा जाता है | संयुक्त राष्ट्र महा संघ ने मानवाधिकारों को चार रूपों(सामाजिक , आर्थिक, राजनितिक, सांस्कृतिक ) में प्रस्तुत किया है | संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार सम्बन्धी विधेयक में समानता , शिक्षा , धर्म, सामाजिक सुरक्षा ,मानव व्यवहार ,न्याय , आत्म निर्णय का अधिकार, धर्मान्तरण और आर्थिक एवं सांस्कृतिक उन्नति के अधिकार सम्मिलित हैं | बाद में इसमें बच्चों और महिलाओं के अधिकारों को सम्मिलित किया गया है